अपरस्पर

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अपरस्पर वि॰ [सं॰]

१. निरंतर । लगातार ।

२. अन्योन्य ।

३. जो आपस का न हो । जिसमें आपसदारी न हो [को॰] ।