अपरस्पर
हिन्दी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अपरस्पर वि॰ [सं॰]
१. निरंतर । लगातार ।
२. अन्योन्य ।
३. जो आपस का न हो । जिसमें आपसदारी न हो [को॰] ।
अपरस्पर वि॰ [सं॰]
१. निरंतर । लगातार ।
२. अन्योन्य ।
३. जो आपस का न हो । जिसमें आपसदारी न हो [को॰] ।