अपराजिता

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हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अपराजिता ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. विष्णुक्रांता लता । कोयल लता ।

२. दुर्गा । उ॰—सरन सरन है सदा सुख साजिता । द्रवहि द्रवहि दास कों अपराजिता । —भिखारी ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ २५४ ।

३. अयोध्या का एक नाम ।

४. चौदह अक्षर का एक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में दो नगण, एक रगण, एक सगण तथा एक लघु और गुरु होता है । न न र स ल ग— /?/ जैसे— न विरस लग राम की जन को कथा । सुनत बढ़त प्रेम सिंधु शशी यथा । रघुकुल करि पावनो सुख साजिता । जिन किय थित कीरती अपराजिता (शब्द॰) ।

५. एक प्रकार का धूप ।

अपराजिता ^२ वि॰ जिसमें पर को जीता न जा सके । अनिर्णीत ।