सामग्री पर जाएँ

अपवाद

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अपवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. विरोध । प्रतिवाद । खंडन । उ॰— करके जय जयकार राम का धर्म का, करती थी अपवाद केकयी कर्म का । —साकेत, पृ॰ ११० ।

२. निंदा । अपकीर्ति । बुराई । प्रवाद । उ॰—केकयी चिल्ला उठी सोन्माद, सब करें मेरा महा अपवाद । —साकेत, पृ॰ ७९ । ३ दोष । पाप । कलंक । उ॰—राजपद के अपवाद नंद । आज तुम्हारा विचार होगा ।—चंद्र॰, पृ॰ १७१ ।

४. बाधक शास्त्र विशेष । उत्सर्ग का विरोधी । वह नियमविशेष जो व्यापक नियम से विरुद्ध हो । मुस्तसना । जैसे, यह नियम है के सकर्मक सामान्य भूत क्रिया के कर्ता के साथ 'ने' लगता है पर यह नियम 'लाना' क्रिया में नहीं लगता ।

५. अनुमति । संमति । राय़ । विचार ।

६. आदेश । आज्ञा ।

७. वेदांत शास्त्र के अनुसार आध्यारोप का निराकरण । जैसे—रज्जु में सर्प का ज्ञान, यह अध्यारोप है और रज्जु के वास्तविक ज्ञान से उसका जो निराकरण हुआ यह अपवाद है ।

८. विश्वास (को॰) ।

९. प्रीती । प्रेम (को॰) ।

१०. पारिवारिकता । परिवार जैसा संबंध (को॰) ।

११. मृग को धोखा फँसाने या शिकार करने के लिये शिकारियों द्धारा प्रयुक्त वाद्य [को॰] ।