अप्रवृत्ति

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अप्रवृत्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. प्रवृत्ति का अभाव । चित्त का झुकाव न होना ।

२. किसी सिद्धांत वा सूत्र का न लगना । किसी विचार का प्रय़ुक्त स्थान पर न खपना ।

३. अप्रचार ।

४. कोष्ठबद्धता [को॰] ।