अभिचार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अभिचार संज्ञा पुं॰ [सं॰] अथर्ववेदोक्त मंत्र यंत्र द्वार मारण और उच्चाटन आदि हिंसा कर्म । पुरश्चरण ।
२. तंत्र के प्रयोग, जो छ:प्रकार के होते हैं— मारण, मोहन, स्तंभन विद्वेषण, उच्चाटन और वशीकरण । स्मृति मे इन कर्मों का उपपातकों में माना गया है । उ॰—उसकी आँखों में अभिचार का संकेत है; मुस्कुराहट में विनाश की सूचना हैं । —स्कंद॰, पृ॰ २९ ।