सामग्री पर जाएँ

अमरी

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अमरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. देवता की स्त्री । देवकन्या । देवपत्नी ।

२. एक पेड़ जिससे एक प्रकार का चमकीला गोंद निकलता है । सज । सग । आसन । पियासाल । विशेष—इस होंद को सुगंध के लिये जलाते हैं । संथाल लोग इसे खाते भी हैं । इसकी छाल से रंग बनता है चमड़ा सिझाया जाता है । लकड़ी मकान, छकड़े और नाव बनाने तथा जलाने के काम में आती है । इसकी डालियों से लाही भी निकलती है और पत्तियों पर सिंहभूम आदि स्थानों में टसर रेशम का कीड़ा भी पाला जाता है ।

अमरी ^२ संज्ञा स्त्री॰ हठयोगियों की एक क्रिया । उ॰—बजरी करंतां अमरी राषै अमरी करंतां बाई । भोग करंता जे व्यंद राषै ते गोरष का गुरभाई । —गोरख॰, पृ॰ ४९ ।