अमित

विक्षनरी से

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अमित वि॰ [सं॰] जिसका परिमाण न हो । अपरिमित । बेहद । असीम ।

२. बहुत । अधिक ।

३. तिरस्कृत । उपेक्षित (को॰) ।

४. अज्ञात । अनजाना (को॰) ।

५. असंस्कृत । संस्कारहीन (को॰) ।

६. केशव के अनुसार वह अर्थालंकर जिसमें साधन ही साधक की सिद्धि का फल भोगे । जैसे— 'दूती नायक के पास नायिका का सँदेसा लेकर जाय, परंतु स्वयं उससे प्रीति कर ले ।' उ॰— आनन सीकर सीक कहा ? हिय तौ हित ते अति आतुर आई । फीको भयो मुख ही मुख राग क्यों ? तेरे पिया बहु बार बकाई । प्रीतम को पट क्यों पलटयो? अलि केवल तेरी प्रतीति को ल्याई । केशव नीके ही नायक सों रमि नायिका बातन ही बहराई ।—केशव (शब्द॰) । यौ॰— अमितक्रतु । अमिताशन । अमिततेजा । अमितौजा । अमितद्युति । अमितविक्रम ।