अरति
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अरति ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. विराग चित्त का न लगना । उ॰— सुर स्वारथी मलीन मन कीन्ह कुमंत्र कुठाटु । रचि प्रपंच माया प्रबल भय भ्रम अरति उचाटु ।—मानस, २ ।२९४ ।
२. जैन शास्त्रानुसार एक प्रकार का क्रम जिसके उदय से चित्त किसी काम में नहीं लगता । यह एक प्रकार का मोहनीय कर्म है । अनिष्ठ में खेद उत्पन्न होने को भी अरति कहते है
३. असंतोष [को॰] ।
४. क्रोध [को॰] ।
५. चिंता [को॰] ।
६. उच्चाटन [को॰] ।
७. उद्वेग [को॰] ।
८. सुस्ती । प्रमाद [को॰] ।
९. व्यथा । पीड़ा [को॰] ।
१०. एक प्रकार पित्तरोग [को॰] ।
अरति ^२ वि॰
१. असंतुष्ट ।
२. शांतिरहित । अशांत ।
३. सुस्त । प्रमादी [को॰] ।