अरत्नि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अरत्नि संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बाहु । हाथ ।
२. कुहनी ।
३. मुट्ठी बँधा हाथ ।
४. मीमांसा शास्त्र के अनुसार एक माप । विशेष—इससे प्राचीन काल में यज्ञ की वेदी आदि मायी जाती थी । यह माप कुहनी से कनिष्ठा के सिरे तक होती है ।