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अरत्नि

विक्षनरी से

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अरत्नि संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. बाहु । हाथ ।

२. कुहनी ।

३. मुट्ठी बँधा हाथ ।

४. मीमांसा शास्त्र के अनुसार एक माप । विशेष—इससे प्राचीन काल में यज्ञ की वेदी आदि मायी जाती थी । यह माप कुहनी से कनिष्ठा के सिरे तक होती है ।