अर्जुन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अर्जुन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह वृक्ष जो दक्खिन से अवध तक नदियों के किनारे होता है । विशेष—यह बरमा और लंका में भी होता है । इसके पत्ते टसर के कीड़ों को खिलाए जाते हैं । छाल, चमड़ा, सिझाने, रंग बनाने तथा दवा के काम में आती है । इससे एक स्वच्छ गोंद निकलती है जो दवा के काम में आती है । लकड़ी से खेती के औजार तथा नाव और गाड़ी आदि बनती है । इसको जलाने से राख में चूने का भाग अधिक निकलता है । पर्या॰—शिवभल्ल । शंबर । ककुम । काहु ।
२. पाँच पांड़वों में से मँझले का नाम । ये बड़े वीर और धनु- र्विद्या में निपुण थे । पर्या॰—फाल्गुन । जिष्णु । किरीटी । श्वेतवाहन । वृहन्नल । धनंजय । पार्थ । कपिध्वज । सव्यसाची । गांडीवधन्वा । गांडीवी । वीभत्सु । पांडुनंदन । गुडाकेश । मध्यम पांडव । विजय । राधाभेदी ऐंद्रि ।
२. हैहयवंशई एक राजा । सहस्त्रार्जुन ।
४. सफेद कनैल ।
५. मोर ।
६. आँख का एक रोग जिसमें आँख में सफेद छीटे पड़ जाते हैं । फूली ।
७. एकलौना बेटा ।
८. अर्जुन (वैदिक) ।
९. इंद्र [को॰] ।
१०. चाँदी [को॰] ।
११. सोना [को॰] ।
१२. दूब [को॰] ।
१३. सफेद रंग [को॰] ।
अर्जुन ^२ वि॰
१. उज्वल । सफेद ।
२. शुभ्र । स्वच्छ ।
अर्जुन बदर संज्ञा पुं॰ [सं॰] अर्जुन नामक पौधे का रेशा [को॰] ।