अर्थ

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अर्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. शब्द का अभिप्राय । मनुष्य के हृदय का आशय जो शब्द से प्रकट हो । शब्द की शक्ति । विशेष—साहित्यशास्त्र में अर्थ तीन प्रकार माना गया है— (क) अभिधा से वाच्यार्थ, (ख) लक्षण से लक्ष्यार्थ और (ग) व्यंजना से व्यंग्यार्थ । क्रि॰ प्र॰—करना । —लगाना । —बैठना ।

२. अभिप्राय । प्रयोजन । मतलब । जैसे—वह किस अर्थ से यहाँ आया है' (शब्द॰) ।

३. काम । इष्ट । उ॰—'यहाँ बैठने से तुम्हारा कुछ अर्थ न निकलेगा' । (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—निकलना । —निकालना । —सधना । साधना ।

४. हेतु । निमित । जैसे—'विद्या के अर्थ प्रयत्न करना चाहिए' (शब्द॰) ।

५. इंद्रियों के विषय । ये पाँच हैं—शब्द, स्पर्श, रुप, रस, और गंध ।

३. चतुर्वग में से एक । धन । संपत्ति ।

७. अर्थशास्त्र के अनुसार मित्र, पशु, भूमि, धन, धान्य, आदि की प्राप्ति और वृद्धि ।

८. कंडगी में लग्न में दुसरा घरा ।

९. कारण [को॰] ।

१०. वस्तु । पदार्थ [को॰] ।

११. लाभ । प्राप्ति [को॰]

१२. याचना । प्रार्थना [को॰] ।

१३. वास्तिविक स्थिति [को॰]

१४. तौर तरीका । ढंग [को॰] ।

१५. रोक । रुकावट [को॰] ।

१६. मूल्य [को॰] ।

१७. परिणाम । नतीजा [को॰] ।

१८. धर्म क एक पुत्र [को॰] ।

१९. विष्णु

२०. [को॰] पुर्वमीमांसा के अनुसार एक श्रेणी अपूर्व [को॰] ।

२१. शक्ति [को॰] ।

२२. दावा [को॰] । यौ॰—अनर्थ । अभ्यर्थना । समर्थ । समर्थन । सार्थक । निरर्थक । अर्थपति । अर्थगौरव । अर्थकृच्छु । अर्थकरी । अर्थपत्ति । अर्थांतर । अर्थवान् ।