अशौच

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हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अशौच संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अपवित्रता । अशुद्धता ।

२. हिंदू शास्त्र नुसार अशौच की अवस्था । विशेष—इन अवस्थाओं में अशौच माना जाता है-(क) मृतक- संस्कार के पश्चात् मृत के परिवार या सपिंडवालों में वर्णक्रमा नुसार १०, १२, १५ और ३० दिन तक । (ख) संतान होने पर भी ऊपर के नियमानुसार । शोक के अशौच को सूतक और संतानोत्पत्ति के अशौच को वृद्धि कहते है । (ग) रजस्वला स्त्री को तीन दिन । (घ) मल, मूत्र, चांडाल या मुर्दें आदि का स्पर्श होने पर स्नानपर्यत । अशौचावस्था में संध्या तर्पण आदि वैदिक कर्म नहीं किए जाते ।