असङ्ग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

असंग वि॰ [सं॰ असङ्ग]

१. बिना साथ का । अकेला । एकाकी ।

२. किसी से वास्ता न रखनेवाला । न्यारा निर्लिप्त । माया— रहित । उ॰—(क) मन मैं यह बात ठहराई । होइ असंग भोजौं जदुराई ।—सूर॰ (शब्द॰) । (ख) भस्म अंग मर्दन अनंग, संतत असंग हर । सीन गंग, गिरिजा अधंग, भूषन भुअंगवर ।—तुलसी (शब्द॰) ।

३. जुदा । अलग । पृथक् । उ॰—चंद्रकला च्चै परी, असंग गंग ह्वै परी, भुजंगी भाजि औ परी, बरंगी के बरत ही ।—देव (शब्द॰) ।

असंग ^२ संज्ञा पुं॰

१. पुरुष । आत्मा ।

२. सपर्काभाव । निर्लिप्तता [को॰] ।