अस्ताचल संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक कल्पित पर्वत जिसके संबंध में लोगों का यह विश्वास है कि अस्त होने के समय सूर्य इसी की आड़ में छिप जाता है । पश्चिमाचल । उ॰—प्रस्ताचल जाते ही दिनकर के, सब प्रकट हुए कैसे । —प्रेम॰, पृ॰ ११ ।