अस्तु अव्य॰ [सं॰] १. जो हो । चाहे जो हो । उ॰—अस्तु, सुव्रते ! कहो कहाँ फिर तुम रहीं, मेरे जाने बाद । — करुणा॰, पृ॰ ३१ । २. खैर । भला । अच्छा । उ॰—अस्तु सभी तुम शक्तिहीन हो गए ।—करुणा॰, पृ॰ ३२ ।