अहरन संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ आ+ धरण= रखना] निहाई । उ॰— कबिरा केवल राम की तू मति छडै ओट । धन अहरन बिच लोह ज्यों घनी सहैं सिर चोट । —कबीर (शब्द॰) ।