अहि
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]अहि संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. साँप ।
२. राहु ।
३. वृत्रासुर ।
४. खल । वंचक ।
५. आश्लेष, नक्षत्र ।
६. पृथिवी ।
७. सूर्य ।
८. पथिक ।
९. सीसा ।
१०. मात्रिक गण में ठगण अर्थात् छह मात्राओं के समूह का छठा भेद जिसमें से लघु गुरु गुरु लघु ।' /?/ ।' मात्राएँ होती हैं; जैसे— दयासिंधु ।
११. इक्कीस अक्षरों के वृत्त का एक भेद जिसमें पहले छह भगण और अंत में मगण होता है; जैसे— भोर समय हरि गेंद जो खेलत संग सखा यमुना तीर । गेंद गिरो यमुना दह में झटि कूदि परे धरि के धीरा । ग्वाल पुकार करी तब नंद यशोमति रोवति ही धाए । दाऊ रहे समुझाया इतै अहि नाभि उतै दह में आए ।— (शब्द॰) ।
१२. नाभि [को॰] ।
१३. बादल [को॰] ।
१४. जल [को॰] ।