अहुत ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] जप । ब्रह्मयज्ञ । वेद-पाठ । यह मनुस्मृति के अनुसार पाँच यज्ञों में से है ।
अहुत ^२ वि॰ १. बिना होम किया हुआ । २. अविहित ढंग से हवन किया हुआ । ६. जिसे होमभाग या आहुति न मिली हो [को॰] ।