आँग
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आँग पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ अङ्ग]
१. अंग । उ॰—(क) बानिनि चली सेंदुर दिये माँगा । कयथिनि चली समाइ न आँगा । जायसी ग्रं॰, पृ॰८१ । (ख) कहि पठई जियभावती, पिय आवन की बात । फूली आँगन मैं फिरै, आँग न आँग समाप्त ।—बिहारी र॰, दो॰ २५४ ।
२. कुच । स्तन । उ॰—कहै पदमाकर क्यों आँग न समात आँगी लागी काह तोहि जागी उर में उचाई है ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ ८४ ।
३. चराई जो प्रति चौपाये पर ली जाती है ।