आँजना

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आँजना क्रि॰ स॰ [सं॰ अज्जन] अंजन लगाना । उ॰—(क) ललना गन जब जेहि धरहि धाइ । लोचन आँजहि फगुआ मनाइ । तुलसी (शब्द॰) । (ख) रुप ही अनुप हीजु आँजे माँजे न्हाए झाएँ, भुषन बनाए बीरा बीरा खाए जानिबी ।-गंग ग्र॰, पृ॰ ३३ ।

२. बिलंब करना । जैसे, आँ जो मत, काम चटपट कर डालो ।