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आख्यान

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आख्यान संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ आख्यात, आख्यातव्य, आख्येय]

१. वर्णन । वृत्तांत । बयान ।

२. कथा । कहानी । किस्सा ।

३. उपन्यास के तौ भेदों में से एक । वह कथा जीसे कवि ही कहे, पात्रों से न कहलावे । विशेष—इसका आरंभ कथा के किसी अंश से कर सकते हैं, पर पीछे से पूर्वापर संबंध खुल जाना चाहिए । इसमें पात्रों की बातचीत बहुत लंबी चौड़ी नहीं हुआ करती । चूँकि कथा कहनेवाला कवि ही होता है और वह पूर्वघटना का व्रणन करता है, इससे इसमें अधिंकतर भूतकालिक क्रिया का प्रयोग होता है, पर दृश्यों को ठीक ठीक प्रत्यक्ष कराने के लिये कभी कभी वर्तमानकालिक क्रिया का भी प्रयोग होता है । जैसे,— सूर्य डूब रहा है, ठंढी हवा चल रही है, इत्यादि । आजकल के नएढंग के उपन्यास इसी के अंतर्गत आ सकते हैं ।

४. जवाब । उत्तर [को॰] ।

५. भेदक धर्म [को॰] ।

६. प्रबंधक काव्य का अध्याय या सर्ग [को॰] ।

७. पौराणिक कथा [को॰] ।