आख्यायिका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आख्यायिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. कथा । कहानी । किस्सा ।
२. कल्पित कथा जिससे कुछ शिक्षा निकले ।
३. एक प्रकार का आख्यान जिसमें पात्र भी अपने अपने चरित्र अपने मुँह से कुछ कुछ कहते हैं । विशेष—प्राचीनों में इसके विषय में मतभेद हैं । आग्निपुराण के अनुसार यह गद्यकाव्य का वह भेद है जिसमें विस्तारपूर्वक कर्ता की वंशप्रशंसा, कन्याहरण, संग्राम, वियोग और विपत्ति का वर्णन हो; रीति, आचरण और स्वभाव विशेष रूप से दिखाए गये हों, गद्य सरल हो और कहीं कहीं छंद हो । इसमें परिच्छेद के स्थान पर उच्छवास होना चाहिए । वाग्भट्ट के मत से वह गद्य काव्य जिसमें नायिका ने अपना वृत्तांत आप कहा हो, भविष्यद्विषयों की पूर्वसूचना हो, कन्या के अपहरण, समागम और अभ्युदय का हाल हो, मित्रादि के मुँह से चरित्र कहलाए गए हों और बीच बीच में कहीं कहीं पद्य भी हों ।