आगंतुक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आगंतुक ^१ वि॰ [सं॰ आगन्तुक] [स्त्री॰ आगंतुका, आगंतुकी]

१. जो आवे । आगमनशील ।

२. जो इधर उधर से घूमना फिरता आ जाय । उ॰—लगा कहने आगंतुक व्यक्ति मिटाया उत्कंठा सविशेष ।—कामायनी, पृ॰ ५० ।

आगंतुक ^२ संज्ञा पुं॰

१. अतिथि । पहुना ।

२. वह पशु जिसके स्वामी का पता न हो ।

२. अचानक होनेवाला रोग ।

३. प्रक्षिप्त पाठ (को॰) । यौ.—अगंतुक ज्वर = वह ज्वर जो चोट, भूत, प्रेत के भय या अधिक श्रम करने आदि से अचानक हो जाय । आगंतुक अनि- मित्त लिंगनाश = एक प्रकार का चक्षुरोग जिसमें आँख की ज्योति मारी जाती है । प्राचीनों के अनुसार यह रोग देवता, ऋषि, गंधर्व, बड़े सर्प और सूर्य के देखने से हो जाता है । आगंतुकब्रण=वह घाव जो चोट के पकने से हो । आगंतुक व्याधि=किसी विमारी के बीच में होनेवाली बिमारी ।