आगे

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आगे क्रि॰ वि॰ [सं॰ अग्र, प्रा॰ अग्ग]

१. और दूर पर । और बढ़कर । 'पीछे' का उलटा । जैसे—उनका मकान अभी आगे है ।

२. समक्ष । संमुख । सामने । जैसे,—उसने मेरे आगे यह काम किया है ।

३. जीवनकाल में । जीते जी । जीवन में । उपस्थिति में । जैसे—वह अपने आगे ही इसे मालिक बना गए थे । —

४. इसके पीछे । इसके बाद । जैसे,—मै कह चुका हुँ, आगे तुम जानो तुम्हारा काम जाने ।—

५. भविष्य में । आगे को । जैसे—अब तक जो किया सो किया, आगे ऐसा मत करना ।

६. अंतर । बाद । जैसे,—चैत के आगे बैसाख का महीना आता है ।

७. पुर्व । पहले । जैसे,—वह आप के आने से आगे हो गया है ।

८. अतिरिक्त । अधिक । जैसे,— इससे आगे एक कौड़ी नहीं मिलने की ।

९. गोद में । जैसे,— (क) उसके आगे एक लड़की है । —(ख) गाय के आगे बछवा है या बछिया ? मुहा॰—आगे आगे=थोड़े दिनों बाद । क्रमश: । जैसे—देखो तो आगे आगे क्या होता है । आगे आना=(१) सामने आना । जैसे,—नाई ! सिर में कितने बाल ? अभी आगे आते हैं ।

२. सामने पड़ना । मिलना । जैसे,—जो कुछ उसके आगे आता है, वह खा जाता है ।

३. संमुख आना । सामना करना । भिड़ना । जैसे,—अगर कुछ हिम्मत हो तो आगे आओ ।

४. फल मिलना । बदला मिलना । उ॰—(क) जो जैसा करै सो तैसा पावै । पूत भतार के आगे आवै । (ख) मत कर सास बुराई । तेरी धी के आगे आई । (शब्द॰) ।

५. घटित होना । घटना । प्रकट होना । जैसे,—देखो जो हम कहते थे, वही आगे आया । आगे करना=(१) उपस्थित करना । प्रस्तुत करना । जैसे,—जो कुछ घर में था, वह आपके आगे किया । (२) अगुआ बनाना । मुखिया बनाना । जैसे,—इस काम में तो उन्हीं को आगे करना चाहिए । उ॰—कमल सहाय सुर सँग लीन्हा । राघव चेतन आगे कीन्हा ।—जायसी (शब्द॰) । (३) अगुआना । अग्रगंता बनाना । उ॰—राजै राकस नियर बोलावा । आगे कीन्ह पंथ जनु पावा ।—जायसी ग्रं॰, पृ॰ १७४ । (४) आगे बढ़ाना । चलाना । उ॰—चक्र सुदर्शन आगे कियो । कोटिक सूर्य प्रकाशित भयो ।—सूर (शब्द॰) । (५) किसी आफत में जालना । जैसे,—जब शेर निकला तो वह मुझे आगे कर आप पेड़ पर चढ़ गया । आगे का उठा=खाने से बचा हुआ । जूठा । उच्छिष्ट । जैसे,—नीच जाति के लोग बड़े आदमियों के आगे का उठा खा लेते हैं । आगे का उठा खाने- वाला=(१) जूठा खानेवाला । टुकड़खोर । (२) दास । (३) नीच । अंत्यज । (४) तुच्छ । नाचीज । आगे का कदम पीछे पड़ना=(१) घटती होना । ह्णास होना । तनज्जुली होना । अवनति होना । जैसे,—उनका पहले अच्छा जमाना था, पर अब आगे का कदम पीछे पड़ रहा है । (२) भय से आगे न बढ़ा जाना । दहशत छा जाना । जैसे,—शेर को देखते ही उनका आगे का कदम पीछे पड़ने लगा । आगे का कपड़ा=(१) घूँघट । (२) अंचल । आगे का कपड़ा खींचना=घूँघट काढ़ना । आग की उखेड़=कुशती का एक पेंच । खिलाड़ी की प्रतिद्धंद्धी की पीठ पर जाकर उसकी कमर की लपेट को पकड़कर जिधर जोर चले, उधर फेंकना । अग्रोत्तोलन । आगे को=आगे । भविष्य में । फिर । पुन: । जैसे, अब की बार तुम्हें छोड़ दिया, आगे को ऐसा न करना । आगे चलकर, आगे जाकर=भविष्य में । इसके बाद । जैसे—तुम्हारा किए का फल आगे चलकर मिलेगा । आगे डालना=देना । खाने के लिये सामने रखना । जैसे,—(क) कुत्ते के आगे टुकड़ा डाल दो । (ख) बैल के आगे चारा डालो । (यह अवज्ञासूचक है और प्राय: इसका प्रयोग पशु आदि नीच श्रेणी के प्राणियों के लिये होता है ।) आगे डोलना=आगे फिरना । सामने खेलना कूदना । लड़कों का होना । जैसे,—बाबा, दो चार आगे डोलते होते तो एक तुम्हें भी दे देती । आगे डोलता=बच्चा । लड़का । जैसे,—उसके आगे डोलता कोई नहीं है । आगे देना=सामने रखना । उपस्थित करना । जैसे,—घोड़े तो इसे खाएँगे नहीं बैलों के आगे दौ । आगे दौड़ पीछे चौड़=(१) कीसी काम को जल्दी जल्दी करते जाना और यह न देखना कि किए हुए काम की क्या दशा होती है । (२) आगे बढ़ते जाना और पीछे का भूलते जाना । आगे घरना=(१) आदर्श बनाना । जैसे,—किसी सिद्धांत को आगे धरकर काम करना अच्छा होता है ।

२. प्रस्तुत करना । उपस्थित करना । पेश करना । भेंट करना । भेंट देना । आगे निकलना=बढ़ जाना । जैसे,— (क) वह दौड़ में सबसे आगे निकल गया । (ख) केवल तीन ही महीने की पढ़ाई में लह अपने दर्जे के सब लड़कों से आगे निकल गया । आगे पीछे=एक के पीछे एक । जैसे,— (क) सिपाही आगे पीछे खड़े होकर कवायद कर रहे हैं । (ख) सब लोग साथ ही आना, आगे पीछे आने से ठीक नहीं होगा । (२) प्रत्यक्ष या परोक्ष । गुप्त या प्रकट । सामने और पीठ पीछे । जैसे,—मैने किसी की कभी आगे पीछे बुराई नहीं की है । (३) और धीरे । आस पास । जैसे,—देखना सब के सब आगे पीछे रहना, दूर मत पड़ना । (४) पहले या पीछे । जैसे,— आगे पीछे सभी चल बसेंगे, यहाँ कोई बैठा थोड़े ही रहेगा । (५) कुछ काल के अनंतर । यथावकाश । जैसे,—पहले इस काम को तो कर डालो और सब आगे पीछे होता रहेगा । (६) इधर का उधर । अंड बंड । उलट पलट । जैसे,—लड़के ने सारे कागजों को आगे पीछे कर दिया । अनुपस्थिति में । गैरहाजिरी में । जैसे,—मेरे सामने तो किसी ने आपको कुछ नहीं कहा, आगे पीछे की कौन जाने । किसी के आगे पीछे होना=किसी के वंश में किसी प्राणी का होना । जैसे,— उनके आगे पीछे कोई नहीं है; व्यर्थ रुपए के पीछे मरे जाते हैं । आगे रखना=(१) अर्पण करना । देना । चढ़ाना । (२) उपस्थित करना । पेश करना । भेंट करना । जैसे,—घर में जो कुछ पान फूल था, लाकर आगे रखा । आगे से=(१) सामने से । जैसे,—अभी वह हमारे आगे से निकल गया । (२) आइंदा से । भविष्य में जैसे,—जो कुछ किया सो अच्छा किया, आगे ऐसा मत करना । (३) पहले से । पुर्व से । बहुत दिनों से । जैसे,—(क) यह आगे से होता आया है । (ख) हम उसे आगे से जानते थे । आगे से लेना=अभ्यर्थना करना । उ॰—हरि आगमन जानिकै भीषम आगे लैन सिधाए । सुरदास प्रभु दरसन कारन नगर लोग सब आए ।—सूर॰, १० ।४१७८ । आगे होना=(१) आगे बढ़ना । अग्रसर होना । जैसे,—सरदार यह कह आगे हुआ और उसके साथी पीछे चले । (२) बढ़ जाना । जैसे,—वह पढ़ने में सबसे आगे हो गया । (३) सामने आना । मुकाबिला करना । जैसे,—इतने आदमियों में वही अकेला शेर के आगे आया । (४) मुखिया बनाना । जैसे,—सब काम में वे आगे होते हैं, पर उनको पूछता कौन है । (५) परदा करना । आड़ करना । जैसे,—बड़े घरों में स्त्रियाँ जेठ के आगे नहीं आतीं । आगे होकर लेना=अभ्यर्थना करना । उ॰— आगे ह्वै जेहि सुरपति लेई । अर्द्धसिंहासन आसन देई ।— तुलसी । (शब्द॰) ।