आग्नेय

विक्षनरी से

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आग्नेय ^१ वि॰ [सं॰] [स्त्री॰ आग्नेयी]

१. अग्नि संबंधी । अग्नि का ।

२. जिसका देवता अग्नि हो । जैसे,—आग्नेय मंत्र ।

३. अग्नि से उत्पन्न ।

४. जिससे आग निकले । जलानेवाला । जैसे— आग्नेय अस्त्र ।

५. अग्नि के समान लाल । क्रोध से लाल । उ॰—देवयानी आग्नेय नेत्रों से उत्तर देती है, 'जाओ, तुम देवराज इंद्र के पास लौट जाओ' ।—मुंशी अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ७२ ।

६. दक्षिण पूर्वी । अग्निकोण का । अग्निकोण से संबंधित ।

७. आग से शीघ्र ही जल उठनेवाला (जैसे,—लाह, घी, लोबान) [को॰] ।

आग्नेय ^२ संज्ञा पुं॰

१. सुवर्ण सोना । सोना ।

२. रक्त । रुधिर ।

३. कृतिका नक्षत्र ।

४. अग्नि के पुत्र कार्तिकेय ।

५. दीपन औषध ।

६. ज्वालामुखी पर्वत ।

७. प्रतिपदा ।

८. एक प्राचीन देश जो दक्षिण में किष्किंधा के समीप था । इसकी प्रधान नगरी महिष्मती थी ।

६. वह पदार्थ जिससे आग भड़क उठे, जैसे— बारूद, लाह इत्यादि ।

१. ब्राह्नण ।

११. अग्निकोण ।

१२. उन जहरीले कीड़ों की एक जाति जिनके काटने या डंक मारने से जलन होती है । विशेष—सुश्रुत में कौंडिल्यक (गुडगुलार), लाल चींटा, भिड़, पनबिछिया, भौंरा आदि २४ कीड़े इसके अंतर्गत गिनाए हैं ।

१३. अग्निपुराण ।

१४. अगस्त्य का एक नाम ।

१५. घी । यौ॰—आग्नेयस्नान=भस्मस्नान । भस्म पोतना ।

आग्नेय कीट संज्ञा पुं॰ [सं॰] आग में कूद पड़नेवाला फतिंगा [को॰] । विशेष—प्राचीन काल में चोर अपने साथ पेटारी में ये कीड़े साथ ले जाते थे । मकान में अगर कोई दिया जलता रहता था तो वे इन कीड़ों की खोल देते थे जो उड़कर उस दिए को बुझा देते थे ।