आग्रयण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आग्रयण संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. अहिताग्नियों का नवशस्योष्टि । नवान्न विधान । नए अन्न से यज्ञ या अग्निहोत्र । विशेष—इसका विधान श्रौतसूत्रानुसार होता है । यह तीन अस्त्रों में से तीन फसलों में किया जाता है । सावें से वर्षा ऋतु में ब्रीहि या चावल से हेमंत ऋतु में और जौ से वसंत ऋतु में । गृह्यसूत्रानुसार जब इनका अनुष्ठान होता है, तब इन्हैं नव- शस्येष्टि कहते हैं ।

२. अग्नि का एक भेद [को॰] ।

३. यज्ञ का समम [को॰] ।