आत्मनेपद संज्ञा पुं॰ [सं॰] १. संस्कृत व्याकरण में धातु में लगनेवाले दो प्रकार के प्रत्ययों में से एक । २. वह क्रिया जो आत्मनेपद प्रत्यय लगने से बनी हो ।