आत्मोत्सर्ग

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आत्मोत्सर्ग संज्ञा पुं॰ [सं॰] परोपकार के लिये अपने को दुःख या विपत्ति में डालना । दूसरे की भलाई के लिये अपने हिताहित का ध्यान छोड़ना । स्वार्थत्याग ।