आदर्शवाद संज्ञा पुं॰ [सं॰ आदर्श+ वाद] [अं॰ आइडियलिज्म] वस्तुओं के ज्यों के त्यों वर्णन् को प्रमुखता या महत्व न देकर न करके उनके आदर्शरूप का वर्णन् करना । पश्चिम के दर्शन, शिक्षा दर्शन और साहित्यिक वादों आदि में प्रचलित विशेष विचारधारा ।