आधार
संज्ञा
नीव, ऐसी वस्तु जिसके ऊपर कोई निर्माण या रचना बनाई जाती है।
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
आधार संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. आश्रय । कहारा । अवलंब । जैसे,— (क) यह छत चार खंभों के आधार पर है । (ख) वह चार दिन पलों के ही आधार पर रह गया ।
२. व्याकरण में अधिकरण कारक ।
३. थाला । आबबाल ।
४. पात्र (नाटक)
५. नींव । बुनियाद । मूल ।
६. योगशास्त्र में एक चक्र का नाम । विशेष— इसे मूलधार भी कहते हैं । इसमें चार दल हैं । रंग लाल हैं । स्थान इसका गुदा है और गणेश इसके देवता हैं ।
७. बंधा । बाँध (को॰) ।
८. नहर । प्रणाली (को॰) ।
९. संबंध । लगाव (को॰) ।
१०. किरण (को॰) ।
११. बरतन । पात्र (को॰) ।
१२. आश्रय देनेवाला । पालन करनेवाला । जैसे,— इस दशा में ही वे हमारे आदार हो रहे हैं । यौ॰— आधाराधेय = आधार और आधेय का संबंध; जैसे, — पात्र और उसमें रखे हुए घी या टेबुल और उसपर रखी हुई किताब का संबंध । प्राणाधार जिसके आधार पर प्राण हों । पर मप्रिय ।