आन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आन ^१ संज्ञा स्त्री [सं॰ आण् =मर्यादा, सीमा ]
१. मर्यादा ।
२. शपथ । सौगंध । कसम । उ॰— मोहिं राम राउरि आन दसरथ सपथ सब साँची कहौं ।— मानस, २ ।१०० ।
३. विजय- घोषणा । दुहाई । क्रि॰ प्र॰ — फिरना । उ॰— बार बार यों कहत सकात न, तोहिं हति लैहैं पिरान । मेरैं जान, कनकपुरी फिरिहै रामचंद्र की आन । — सूर॰, ९ । १२१ ।
४. ढंग । तर्ज । अदा । छवि । जैसे,—उस मौके पर बडौदा नरेश का इस सादगी से निकल जाना एक नई आन थी ।
५. अकड । ऐंठ । दिखाव । ठसक । जैसे,— आज तो उनकी ऐर ही आन थी ।
६. अदब । लिहाज । दबाव । लज्जा । शर्म । हया । शंका । डर । भय । जैसे,— कुछ बडों की आन तो माना करो ।
७. प्रतिज्ञा । प्रण । हठ । टेक । जैसे,— वह अपनी आन न छोडेगा ।
आन ^२ संज्ञा स्त्री [अ॰] क्षण । अल्पकाल । लमहा ।जैसे,— एक ही आन में कुछ का कुछ हो गया है । मुहा॰— आन की आन में = शीघ्र ही । अत्यल्प काल में । जैसे,— आन की आन में सिपाहियों मे पूरा का पूरा शहर घेर लिया ।
आन ^३पु वि॰ [सं॰ अन्य] दूसरा । और । उ॰— मुख कह आन, पेट बस आन । तेहि औगुन दस हाट बिकाना ।— जायसी ग्रं॰, पृ॰ ३५ ।
आन ^४ क्रि॰ वि॰ [ हि॰ आना] आकार । उपस्थित होकर । जैसे,— पत्ता पेड़ से आन गिरा ।