आप्त

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आप्त ^१ वि॰ [सं॰] प्राप्त । प्रामाणय रूप में लब्ध । उ॰— इसका आधार 'प्रत्यक्ष' अनुभव महीं रह गया, 'आप्त' शब्द हुआ ।— रस॰, पृ॰ १२६ । विशेष— इसका प्रयोग इस अर्थ में प्राय: समस्त पदों में मिलता है; जैसे,— आप्तकाम । आप्तगर्मा । आप्तकाल ।

२. कुशल । दक्ष ।

३. विषय को ठीक तौर से जाननेवाला । साक्षात्कृतधर्मा ।

आप्त ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. ऋषि ।

२. यथार्थ का वक्ता । प्रमाणिक कथन का कहनेवाला ।

३. योगशास्त्र शब्दप्रमाण । विशेष— पतंजलि के अनुसार आप्त वह है जो वस्तुतत्व का सम- ग्रता के साथ जानकर या द्रष्टा या ज्ञाता हो तथा रागादि के वश में पड़कर भी कभी अन्यथा न कहे । यौ॰— आप्तप्रमाण । आप्तवाक्य । आप्तवचन । आप्तागम । आप्तोक्ति ।

३. भाग का लब्ध ।