आभार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आभार संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बोझ ।
२. गृहस्थी का बोझ । गृहप्रबंध की देखभाल की जिम्मेदारी । उ॰— चलत देत आभारू सुनि, उहीं परोसिहिं नाह । लसी तमासे की दृगनु हाँसी आँसुनु माँह ।— बिहारी र॰ , दो॰ ५५१ ।
३. एक वर्णवृत जो आठ तगण का होता है; जैसे,— बोल्यौ तबै शिष्य आभार तेरो गुरू जी न भूलों जपौं आठहूँ जाम । हे राम हे राम हे राम हे राम हे राम हे राम हे राम हे राम । (शब्द॰) ।
४. एहसान । उपकार । निहोर ।