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आरण्यक

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आरण्यक ^१ वि॰ [सं॰] [स्त्री॰ आरण्यकी]

१. जंगल का । बन का । जंगली । बनैला ।

आरण्यक ^२ संज्ञा पुं॰ वेदों की शाखा का वह भाग जिसमें वानप्रसथों के कृत्य का विवरण और उनके लिये उपयोगी आदेश हैं । विशेष—वैदिक वाड् मय में संहिताओं के अनंतर के ब्राह्नण ग्रंथों का उत्तरवर्ती वाङ् मय भाग जो उपनिषदों का पूर्ववर्ती है । यौ॰—आरण्यक संवाद=आरण्यक ग्रंथों में प्रतिपादित सिद्धांत । उ॰—सुनाने आरण्यक संवाद तथागत आया तेरे द्वार ।—लहर, पृ॰ १२ ।