आर्यसमाज

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आर्यसमाज संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक धार्मिक समाज या समिति जिसके संस्थापक स्वामी दयानंद थे । विशेष—इस समाज के प्रधान दस नियम हैं । इस मत के लोग वेदों के संहिता भाग को अपौरूषेय और स्वत: प्रमाण मानते हैं । मूर्तिपूजा, श्राद्ध, तर्पण करते । गुण, कर्म और स्वबाव के अनुसार वर्ण मानतो हैं ।