आलम्बन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आलंबन संज्ञा पुं॰ [सं॰ आलम्बन] [वि॰ आलिंबित]
१. सहारा । आश्रय । अवलंबन ।
२. रस में एक विभाग जिसके अवलंब से रस की उत्पत्ति होती है । जैसे,—(क) श्रृंगार रस में नायक और नायीका, (ख) रौद्र रस में सत्रृ, (ग) हास्य रस में विलक्षण रूप या शब्द, (घ) करूण रस में शोचनीय वस्तु या व्यक्ति, (च) वीर रस में शत्रु या शत्रृ की प्रिय वस्तु, (छ) भयानक रस में भयंकर रूप, (ज) वीभत्स रस में घृणित पदार्थ, पीब, लोहू, मांस आदि (झ) अद्रभुत रस में अलौकिक वस्तु, (ट) शांत रस में अनित्य वस्तु, (ठ) वात्सल्य रस में पुत्रादि ।
३. बौद्ध मत में किसी वस्तु का ध्यानजनित ज्ञान । यह छह प्रकार का है—रूप, रस गंध, स्पर्श शब्द और धर्म ।
४. साधन । कारण ।
५. आधार [को॰] ।
६. योगियों द्वारा कृत मानसिक ध्यान [को॰] ।
७. सहारा लेना । आश्रय लेना [को॰] ।