आवह
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]आवह संज्ञा पुं॰ [सं॰] वायु के सात स्कंधों में पहले स्कंध की वायु । भूर्लोक और स्वर्लोक के बीच की । भूवायु । विशेष— सिद्धांतशिरोमणि में इस वायु को १२ । योजन ऊपर माना हैं और इसी सं बिज्ली, ओले आदि की उत्पत्ति बतलाई है ।
२. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक ।