आसत्ति

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

आसत्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. सामीप्य । निकटता ।

२. अर्थबोध के लिये बिना व्यवधान के एक दूसरे से संबंध रखनेवाले पदों या शब्दों का पास पास रहना । जैसे,—यदि कहा जाय कि 'वह खाता था पुस्तक और पढ़ता था दाल चावल' तो कुछ बोध नहीं होता, क्योंकि आसत्ति नहीं है । पर यदि कहें कि 'वह दाल चावल खाता था और पुस्तक पढ़ता था' सतो तात्पर्य खुला जाता है । पदों का अन्वय आसत्ति के अनुसार होता है ।

३. प्राप्ति । पाना । लाभ । (को॰) । मेल । संगति (को॰) ।