आहरण संज्ञा पुं॰ [सं॰] [ वि॰ आहरणीय; कर्तृ॰ आहती] १. छीनना ल । हर लेना । २. किसी पदार्थ की एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना । स्थानांतरित करना । ३. ग्रहण । लेना । ४. विवाह के अवसर पर वधू को उपहारुप में देय धन [को॰] ।