इकछत पु वि॰ [सं॰ एकच्छत्र] दे॰ 'एकछत्र' उ॰— जो नर इकछत भूप कहावै । सिंहासन ऊपर बैठे जतहीं चँवर ढूरावै । चरण॰ बानी॰, पृ॰ ९४ ।