इकतर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]इकतर पु वि॰ [हिं॰] दे॰ 'एकत्र' । उ॰— (क) मन औ पवन होत जब इकतर नाहीं बीच बराव । — जग ॰ बानी, पृ॰ ७५ । (ख) दई बडाई ताहि पंच यह सिगरे जानी । दे कोल्हू में पेरि, करी हैं इकतर घानी । —गिरिधर (शब्द॰) । (ग) प्रथमहि पत्र चमेली आनै । ताको कूटि लेइ रस छानै । कूट सोहागा मनसिल लीजै । मीठे तेल में इकतर कीजै । — (शब्द॰) ।