इतराना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

इतराना क्रि॰ अ॰ [सं॰ इतर अथवा सं॰ उत्तरण, हिं॰ उतराना या देश॰]

१. सफलता पर फूल उठना । घमंड करना । मदांध होना । उ॰—(क) बड़ो बड़ाई नहिं तजै, छोटो बह इतराय । ज्यों प्यादा फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय ।—कबीर (शब्द॰) । (ख) जस थोरेहु धन खल इतराई ।—मानस, ४ । १४ ।

२. रूप और यौवन का घमंड दिखाना । ठसक दिखाना । ऐंठ दिखाना । इठलाना । उ॰—अब काहू के जाउ कहीं जनि आवति हैं युक्ती इतरात । सूर—(शब्द॰) ।