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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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इससे ताड़ी निकाली जाती है जिसे लोग पीते है और जिससे गुड़ भी बनाते हैं । इसकी कोमल बालों या मंजरी की तरकारी बनाई जाती है । इसके पुराने स्कंध में के गूदे से सागूदाना निकलता है जो पानी में पकाकर खाया जाता है या पीसकर जिसकी रोटियाँ बनाई जाती है; और रेशे से कूंची, ब्रुश, रस्सी और जाल बनाए जाते हैं । इसकी लकड़ी मजबूत और टिकाऊ होती है । इसे भेरवा भी कहते हैं ।