ईंगुर

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ईंगुर संज्ञा पुं॰ [सं॰ हिङ्गुल, प्रा॰ इंगुल] एक खनिज पदार्थ जो चीन आदि देशों में निकलता हैं । इसकी ललीई बहुत चटकीली और सुंदर होती है । लाल वस्तुओं की उपमा ईगुर से दी जाती है । हिंदू सौभाग्यवती स्त्रियाँ माथे पर शोभा के लिये इसकी बिंदी लगाती हैं । इससे पारा बहुत निकाल जाता हैं । उ॰—जहाँ जहाँ यह अपने चरनों को धरती ऐसा जाना पड़ता कि ईंगुर बगर गया हैं । — श्यामा॰, पृ २८ । विशेष — अब कृत्रिम ईगुर बनाया जाता हैं । यह गीला और सूखा दो प्रकार का बनता है । पारा, गंधक, पोटास और पानी एक साथ मिलाकर एक लंबे बरतन में रखते हैं जिसमें मथने के लिये बेलन लगे रहते हैं । मथने के बाद द्रव्य का रंग काला हो जाता है, फिर ईट के रंग का होता है अंत में खासा गीला ईंगुर हो जाता है । सुखा ईंगुर इस प्रकार बनता है— ८ भाग पारा , १ भाग गंधक एक बंद बरतन में आँच पर चढाते हैं । यह बरतन घूमता रहता है, जिससे दोनों चीजें खूब मिल जाती हैं और ईंगुर तैयार हो जाता हैं । प्रक्रिया में थोड़ा फेरफार कर देने से यह ईंगुर कई रंगों का हो सकता है— जैसे प्याजी, गुलाबी और नारंगी इत्यादि । यह रंगसाजी और मोहर की लाह बनाने के काम में आता है ।