उँचाना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उँचाना क्रि॰ सं॰ [हिं॰ ऊँचा से नामिक धातु] ऊँचा करना । उठाना । उ॰—(क) सुनौ किन कनकपुरी के राइ । हौं बुधि-बल- छल करि पचि हारी, लख्यौ न सीस उँचाई ।—सूर॰, ९ ।७८ । (ख) बलि कहयौ बिलंब अब नैंकु नहिं कीजिए मंदराचल अचल चले धाई । दोऊ इक मंत्र है जाइ पहुँचे तहाँ, कहयौ, अब लीजियै इहिं उँचाई ।—सूर॰, ८ । ८ ।