उँदरू
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]उँदरू संज्ञा पुं॰ [सं॰ कुन्दरु] बबूल की जाति की एक प्रकार की काँटेदार झाड़ी या बेल जो हिमालय की तराई, पूर्वी बंगाल, बरमा और दक्षिण में होती है । ऐल । विसवल । रिसवल ।हैंस । विशेष—इसके छिलके से बंबई में मछली के जाल पर माँझा देया जाता है । इसकी पत्तियाँ बबूल ही की तरह महीन महीन होती हैं और सींकों में लगती हैं । ये झाड़ियाँ पहले गाँव या कोट के चारों ओर रक्षा के लिये बहुत लगाई जाती थीं । इसमें बबूल की तरह फलियाँ लगती हैँ जिनके गूदे से सिर के बाल साफ होते हैं ।