उआवाई वि॰ [हिं॰ आव बाबव; सं॰ वायु=हवा ?] अंडबंड । बे सिरपैर का । निरर्थक । व्यर्थ । उ॰—जन्म गवायो ऊआवाई भोजन । भजे न चरण कमल यदुपति के रह्यो विलोकत छाई ।—सूर (शब्द॰) ।