उकलना पु क्रि॰ अ॰ [सं॰ उत्कलन = खुलना] [क्रि॰ स॰ उकेलना, प्रे॰ क्रि॰ उकलवाना़] १. तह से अलग होना । उचड़ना । पृथक् होना । २. लिपटी हुई जीज का खुलना । उधड़ना । बिखरना । उ॰—ग्रीष्म ऋतु क्रीड़त सुजान । षिति उकलंत षेह नभ साजन । ।—पृ॰ रा॰, २५ ।२ ।