उचनि पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ उच्च] उभाड़ । उठान । उ॰—(क) परी दृष्टि कुच उचनि पिया की वह मुख कह्यो न जाई । अंगिया नील माँड़नी राती निरखत नैन चुराई । सूर॰ (शब्द॰) । (ख) चिबुक तर कंठ श्रीमाल मोतीन छबि कुच उचनि हेम गिरि अतिहि लाजै । सूर॰ (शब्द॰) ।