उच्चरण संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ उच्चरणीय, उच्चरित] १. कंठ, तालु, जिह्वा आदि के प्रयत्न से शब्द निकलना । मुँह से शब्द फूटना । २. ऊपर या बाहर आना (को॰) ।